وَاِنْ فَاتَكُمْ شَيْءٌ مِّنْ اَزْوَاجِكُمْ اِلَى الْكُفَّارِ فَعَاقَبْتُمْ فَاٰتُوا الَّذِيْنَ ذَهَبَتْ اَزْوَاجُهُمْ مِّثْلَ مَآ اَنْفَقُوْاۗ وَاتَّقُوا اللّٰهَ الَّذِيْٓ اَنْتُمْ بِهٖ مُؤْمِنُوْنَ ( الممتحنة: ١١ )
Wain fatakum shayon min azwajikum ila alkuffari fa'aqabtum faatoo allatheena thahabat azwajuhum mithla ma anfaqoo waittaqoo Allaha allathee antum bihi muminoona (al-Mumtaḥanah 60:11)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और यदि तुम्हारी पत्नि यो (के मह्रों) में से कुछ तुम्हारे हाथ से निकल जाए और इनकार करनेवालों (अधर्मियों) की ओर रह जाए, फिर तुम्हारी नौबत आए, जो जिन लोगों की पत्नियों चली गई है, उन्हें जितना उन्होंने ख़र्च किया हो दे दो। और अल्लाह का डर रखो, जिसपर तुम ईमान रखते हो
English Sahih:
And if you have lost any of your wives to the disbelievers and you subsequently obtain [something], then give those whose wives have gone the equivalent of what they had spent. And fear Allah, in whom you are believers. ([60] Al-Mumtahanah : 11)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और अगर तुम्हारी बीवियों में से कोई औरत तुम्हारे हाथ से निकल कर काफिरों के पास चली जाए और (ख़र्च न मिले) और तुम (उन काफ़िरों से लड़ो और लूटो तो (माले ग़नीमत से) जिनकी औरतें चली गयीं हैं उनको इतना दे दो जितना उनका ख़र्च हुआ है) और जिस ख़ुदा पर तुम लोग ईमान लाए हो उससे डरते रहो