اِتَّخَذُوْٓا اَيْمَانَهُمْ جُنَّةً فَصَدُّوْا عَنْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗاِنَّهُمْ سَاۤءَ مَا كَانُوْا يَعْمَلُوْنَ ( المنافقون: ٢ )
They take
ٱتَّخَذُوٓا۟
उन्होंने बना लिया
their oaths
أَيْمَٰنَهُمْ
अपनी क़समों क
(as) a cover
جُنَّةً
ढाल
so they turn away
فَصَدُّوا۟
तो उन्होंने रोका
from
عَن
अल्लाह के रास्ते से
(the) Way
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते से
(of) Allah
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के रास्ते से
Indeed
إِنَّهُمْ
बेशक वो
evil is
سَآءَ
कितना बुरा है
what
مَا
जो
they used (to)
كَانُوا۟
हैं वो
do
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते
Ittakhathoo aymanahum junnatan fasaddoo 'an sabeeli Allahi innahum saa ma kanoo ya'maloona (al-Munāfiq̈ūn 63:2)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उन्होंने अपनी क़समों को ढाल बना रखा है, इस प्रकार वे अल्लाह के मार्ग से रोकते है। निश्चय ही बुरा है जो वे कर रहे है
English Sahih:
They have taken their oaths as a cover, so they averted [people] from the way of Allah. Indeed, it was evil that they were doing. ([63] Al-Munafiqun : 2)