وَاتَّخَذَ قَوْمُ مُوْسٰى مِنْۢ بَعْدِهٖ مِنْ حُلِيِّهِمْ عِجْلًا جَسَدًا لَّهٗ خُوَارٌۗ اَلَمْ يَرَوْا اَنَّهٗ لَا يُكَلِّمُهُمْ وَلَا يَهْدِيْهِمْ سَبِيْلًاۘ اِتَّخَذُوْهُ وَكَانُوْا ظٰلِمِيْنَ ( الأعراف: ١٤٨ )
Waittakhatha qawmu moosa min ba'dihi min huliyyihim 'ijlan jasadan lahu khuwarun alam yaraw annahu la yukallimuhum wala yahdeehim sabeelan ittakhathoohu wakanoo thalimeena (al-ʾAʿrāf 7:148)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और मूसा के पीछे उसकी क़ौम ने अपने ज़ेवरों से अपने लिए एक बछड़ा बना दिया, जिसमें से बैल की-सी आवाज़ निकलती थी। क्या उन्होंने देखा नहीं कि वह न तो उनसे बातें करता है और न उन्हें कोई राह दिखाता है? उन्होंने उसे अपना उपास्य बना लिया, औऱ वे बड़े अत्याचारी थे
English Sahih:
And the people of Moses made, after [his departure], from their ornaments a calf – an image having a lowing sound. Did they not see that it could neither speak to them nor guide them to a way? They took it [for worship], and they were wrongdoers. ([7] Al-A'raf : 148)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और मूसा की क़ौम ने (कोहेतूर पर) उनके जाने के बाद अपने जेवरों को (गलाकर) एक बछड़े की मूरत बनाई (यानि) एक जिस्म जिसमें गाए की सी आवाज़ थी (अफसोस) क्या उन लोगों ने इतना भी न देखा कि वह न तो उनसे बात ही कर सकता और न किसी तरह की हिदायत ही कर सकता है (खुलासा) उन लोगों ने उसे (अपनी माबूद बना लिया)