وَقَطَّعْنٰهُمُ اثْنَتَيْ عَشْرَةَ اَسْبَاطًا اُمَمًاۗ وَاَوْحَيْنَآ اِلٰى مُوْسٰٓى اِذِ اسْتَسْقٰىهُ قَوْمُهٗٓ اَنِ اضْرِبْ بِّعَصَاكَ الْحَجَرَۚ فَانْۢبَجَسَتْ مِنْهُ اثْنَتَا عَشْرَةَ عَيْنًاۗ قَدْ عَلِمَ كُلُّ اُنَاسٍ مَّشْرَبَهُمْۗ وَظَلَّلْنَا عَلَيْهِمُ الْغَمَامَ وَاَنْزَلْنَا عَلَيْهِمُ الْمَنَّ وَالسَّلْوٰىۗ كُلُوْا مِنْ طَيِّبٰتِ مَا رَزَقْنٰكُمْۗ وَمَا ظَلَمُوْنَا وَلٰكِنْ كَانُوْٓا اَنْفُسَهُمْ يَظْلِمُوْنَ ( الأعراف: ١٦٠ )
Waqatta'nahumu ithnatay 'ashrata asbatan omaman waawhayna ila moosa ithi istasqahu qawmuhu ani idrib bi'asaka alhajara fainbajasat minhu ithnata 'ashrata 'aynan qad 'alima kullu onasin mashrabahum wathallalna 'alayhimu alghamama waanzalna 'alayhimu almanna waalssalwa kuloo min tayyibati ma razaqnakum wama thalamoona walakin kanoo anfusahum yathlimoona (al-ʾAʿrāf 7:160)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और हमने उन्हें बारह ख़ानदानों में विभक्त करके अलग-अलग समुदाय बना दिया। जब उसकी क़ौम के लोगों ने पानी माँगा तो हमने मूसा की ओर प्रकाशना की, 'अपनी लाठी अमुक चट्टान पर मारो।' अतएव उससे बारह स्रोत फूट निकले और हर गिरोह ने अपना-अपना घाट मालूम कर लिया। और हमने उनपर बादल की छाया की और उन पर 'मन्न' और 'सलवा' उतारा, 'हमनें तुम्हें जो अच्छी-स्वच्छ चीज़े प्रदान की है, उन्हें खाओ।' उन्होंने हम पर कोई ज़ुल्म नहीं किया, बल्कि वास्तव में वे स्वयं अपने ऊपर ही ज़ुल्म करते रहे
English Sahih:
And We divided them into twelve descendant tribes [as distinct] nations. And We inspired to Moses when his people implored him for water, "Strike with your staff the stone," and there gushed forth from it twelve springs. Every people [i.e., tribe] knew its watering place. And We shaded them with clouds and sent down upon them manna and quails, [saying], "Eat from the good things with which We have provided you." And they wronged Us not, but they were [only] wronging themselves. ([7] Al-A'raf : 160)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और हमने बनी ईसराइल के एक एक दादा की औलाद को जुदा जुदा बारह गिरोह बना दिए और जब मूसा की क़ौम ने उनसे पानी मॉगा तो हमने उनके पास वही भेजी कि तुम अपनी छड़ी पत्थर पर मारो (छड़ी मारना था) कि उस पत्थर से पानी के बारह चश्मे फूट निकले और ऐसे साफ साफ अलग अलग कि हर क़बीले ने अपना अपना घाट मालूम कर लिया और हमने बनी ईसराइल पर अब्र (बादल) का साया किया और उन पर मन व सलवा (सी नेअमत) नाज़िल की (लोगों) जो पाक (पाकीज़ा) चीज़े तुम्हें दी हैं उन्हें (शौक़ से खाओ पियो) और उन लोगों ने (नाफरमानी करके) कुछ हमारा नहीं बिगाड़ा बल्कि अपना आप ही बिगाड़ते हैं