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وَاِمَّا يَنْزَغَنَّكَ مِنَ الشَّيْطٰنِ نَزْغٌ فَاسْتَعِذْ بِاللّٰهِ ۗاِنَّهٗ سَمِيْعٌ عَلِيْمٌ  ( الأعراف: ٢٠٠ )

And if
وَإِمَّا
और अगर
an evil suggestion comes to you
يَنزَغَنَّكَ
वसवसा आए आपको
from
مِنَ
शैतान की तरफ़ से
[the] Shaitaan
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की तरफ़ से
[an evil suggestion]
نَزْغٌ
कोई वसवसा
then seek refuge
فَٱسْتَعِذْ
पस पनाह तलब कीजिए
in Allah
بِٱللَّهِۚ
अल्लाह की
Indeed He
إِنَّهُۥ
बेशक वो
(is) All-Hearing
سَمِيعٌ
ख़ूब सुनने वाला है
All-Knowing
عَلِيمٌ
ख़ूब जानने वाला है

Waimma yanzaghannaka mina alshshaytani nazghun faista'ith biAllahi innahu samee'un 'aleemun (al-ʾAʿrāf 7:200)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और यदि शैतान तुम्हें उकसाए तो अल्लाह की शरण माँगो। निश्चय ही, वह सब कुछ सुनता जानता है

English Sahih:

And if an evil suggestion comes to you from Satan, then seek refuge in Allah. Indeed, He is Hearing and Knowing. ([7] Al-A'raf : 200)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

अगर शैतान की तरफ से तुम्हारी (उम्मत के) दिल में किसी तरह का (वसवसा (शक) पैदा हो तो ख़ुदा से पनाह मॉगों (क्योंकि) उसमें तो शक़ ही नहीं कि वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफकार है