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اِنَّ الَّذِيْنَ اتَّقَوْا اِذَا مَسَّهُمْ طٰۤىِٕفٌ مِّنَ الشَّيْطٰنِ تَذَكَّرُوْا فَاِذَا هُمْ مُّبْصِرُوْنَۚ   ( الأعراف: ٢٠١ )

Indeed
إِنَّ
बेशक
those who
ٱلَّذِينَ
वो जिन्होंने
fear (Allah)
ٱتَّقَوْا۟
तक़वा किया
when
إِذَا
जब
touches them
مَسَّهُمْ
छू जाता है उन्हें
an evil thought
طَٰٓئِفٌ
कोई ख़्याल
from
مِّنَ
शैतान की तरफ़ से
the Shaitaan
ٱلشَّيْطَٰنِ
शैतान की तरफ़ से
they remember (Allah)
تَذَكَّرُوا۟
तो वो चौंक पड़ते हैं
and then
فَإِذَا
फिर यकायक
they
هُم
वो
(are) those who see (aright)
مُّبْصِرُونَ
देखने लगते हैं

Inna allatheena ittaqaw itha massahum taifun mina alshshaytani tathakkaroo faitha hum mubsiroona (al-ʾAʿrāf 7:201)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जो डर रखते हैं, उन्हें जब शैतान की ओर से कोई ख़याल छू जाता है, तो वे चौंक उठते हैं। फिर वे साफ़ देखने लगते हैं

English Sahih:

Indeed, those who fear Allah – when an impulse touches them from Satan, they remember [Him] and at once they have insight. ([7] Al-A'raf : 201)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

बेशक लोग परहेज़गार हैं जब भी उन्हें शैतान का ख्याल छू भी गया तो चौक पड़ते हैं फिर फौरन उनकी ऑखें खुल जाती हैं