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تَعْرُجُ الْمَلٰۤىِٕكَةُ وَالرُّوْحُ اِلَيْهِ فِيْ يَوْمٍ كَانَ مِقْدَارُهٗ خَمْسِيْنَ اَلْفَ سَنَةٍۚ  ( المعارج: ٤ )

Ascend
تَعْرُجُ
चढ़ते हैं
the Angels
ٱلْمَلَٰٓئِكَةُ
फ़रिश्ते
and the Spirit
وَٱلرُّوحُ
और रूह
to Him
إِلَيْهِ
तरफ़ उसके
in
فِى
एक दिन में
a Day
يَوْمٍ
एक दिन में
[is]
كَانَ
है
its measure
مِقْدَارُهُۥ
मिक़दार जिसकी
(is) fifty
خَمْسِينَ
पचास
thousand
أَلْفَ
हज़ार
year(s)
سَنَةٍ
साल

Ta'ruju almalaikatu waalrroohu ilayhi fee yawmin kana miqdaruhu khamseena alfa sanatin (al-Maʿārij 70:4)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

फ़रिश्ते और रूह (जिबरील) उसकी ओर चढ़ते है, उस दिन में जिसकी अवधि पचास हज़ार वर्ष है

English Sahih:

The angels and the Spirit [i.e., Gabriel] will ascend to Him during a Day the extent of which is fifty thousand years. ([70] Al-Ma'arij : 4)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

जिसकी तरफ फ़रिश्ते और रूहुल अमीन चढ़ते हैं (और ये) एक दिन में इतनी मुसाफ़त तय करते हैं जिसका अन्दाज़ा पचास हज़ार बरस का होगा