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وَّاَنَّا كُنَّا نَقْعُدُ مِنْهَا مَقَاعِدَ لِلسَّمْعِۗ فَمَنْ يَّسْتَمِعِ الْاٰنَ يَجِدْ لَهٗ شِهَابًا رَّصَدًاۖ  ( الجن: ٩ )

And that we
وَأَنَّا
और बेशक हम
used (to)
كُنَّا
थे हम
sit
نَقْعُدُ
हम बैठते
there in
مِنْهَا
उसकी
positions
مَقَٰعِدَ
बैठने की जगहों पर
for hearing
لِلسَّمْعِۖ
सुनने के लिए
but (he) who
فَمَن
तो जो कोई
listens
يَسْتَمِعِ
ग़ौर से सुनता है
now
ٱلْءَانَ
अब
will find
يَجِدْ
वो पाता है
for him
لَهُۥ
अपने लिए
a flaming fire
شِهَابًا
एक शोला
waiting
رَّصَدًا
घात में

Waanna kunna naq'udu minha maqa'ida lilssam'i faman yastami'i alana yajid lahu shihaban rasadan (al-Jinn 72:9)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

'और यह कि हम उसमें बैठने के स्थानों में सुनने के लिए बैठा करते थे, किन्तु अब कोई सुनना चाहे तो वह अपने लिए घात में लगा एक उल्का पाएगा

English Sahih:

And we used to sit therein in positions for hearing, but whoever listens now will find a burning flame lying in wait for him. ([72] Al-Jinn : 9)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ये कि पहले हम वहाँ बहुत से मक़ामात में (बातें) सुनने के लिए बैठा करते थे मगर अब कोई सुनना चाहे तो अपने लिए शोले तैयार पाएगा