يُّدْخِلُ مَنْ يَّشَاۤءُ فِيْ رَحْمَتِهٖۗ وَالظّٰلِمِيْنَ اَعَدَّ لَهُمْ عَذَابًا اَلِيْمًا ࣖ ( الانسان: ٣١ )
He admits
يُدْخِلُ
वो दाख़िल करता है
whom
مَن
जिसे
He wills
يَشَآءُ
वो चाहता है
to
فِى
अपनी रहमत में
His mercy
رَحْمَتِهِۦۚ
अपनी रहमत में
but (for) the wrongdoers
وَٱلظَّٰلِمِينَ
और ज़ालिम लोग
He has prepared
أَعَدَّ
उसने तैयार कर रखा है
for them
لَهُمْ
उनके लिए
a punishment
عَذَابًا
अज़ाब
painful
أَلِيمًۢا
दर्दनाक
Yudkhilu man yashao fee rahmatihi waalththalimeena a'adda lahum 'athaban aleeman (al-ʾInsān 76:31)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
वह जिसे चाहता है अपनी दयालुता में दाख़िल करता है। रहे ज़ालिम, तो उनके लिए उसने दुखद यातना तैयार कर रखी है
English Sahih:
He admits whom He wills into His mercy; but the wrongdoers – He has prepared for them a painful punishment. ([76] Al-Insan : 31)