وَقَاتِلُوْهُمْ حَتّٰى لَا تَكُوْنَ فِتْنَةٌ وَّيَكُوْنَ الدِّيْنُ كُلُّهٗ لِلّٰهِۚ فَاِنِ انْتَهَوْا فَاِنَّ اللّٰهَ بِمَا يَعْمَلُوْنَ بَصِيْرٌ ( الأنفال: ٣٩ )
And fight them
وَقَٰتِلُوهُمْ
और जंग करो उनसे
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
not
لَا
ना रहे
there is
تَكُونَ
ना रहे
oppression
فِتْنَةٌ
कोई फ़ितना
and is
وَيَكُونَ
और हो जाए
the religion
ٱلدِّينُ
दीन
all of it
كُلُّهُۥ
सारे का सारा
for Allah
لِلَّهِۚ
अल्लाह के लिए
But if
فَإِنِ
फिर अगर
they ceased
ٱنتَهَوْا۟
वो बाज़ आ जाऐं
then indeed
فَإِنَّ
तो बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
of what
بِمَا
उसे जो
they do
يَعْمَلُونَ
वो अमल करते हैं
(is) All-Seer
بَصِيرٌ
ख़ूब देखने वाला है
Waqatiloohum hatta la takoona fitnatun wayakoona alddeenu kulluhu lillahi faini intahaw fainna Allaha bima ya'maloona baseerun (al-ʾAnfāl 8:39)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उनसे युद्ध करो, यहाँ तक कि फ़ितना बाक़ी न रहे और दीन (धर्म) पूरा का पूरा अल्लाह ही के लिए हो जाए। फिर यदि वे बाज़ आ जाएँ तो अल्लाह उनके कर्म को देख रहा है
English Sahih:
And fight against them until there is no fitnah and [until] the religion [i.e., worship], all of it, is for Allah. And if they cease – then indeed, Allah is Seeing of what they do. ([8] Al-Anfal : 39)