۞ وَاعْلَمُوْٓا اَنَّمَا غَنِمْتُمْ مِّنْ شَيْءٍ فَاَنَّ لِلّٰهِ خُمُسَهٗ وَلِلرَّسُوْلِ وَلِذِى الْقُرْبٰى وَالْيَتٰمٰى وَالْمَسٰكِيْنِ وَابْنِ السَّبِيْلِ اِنْ كُنْتُمْ اٰمَنْتُمْ بِاللّٰهِ وَمَآ اَنْزَلْنَا عَلٰى عَبْدِنَا يَوْمَ الْفُرْقَانِ يَوْمَ الْتَقَى الْجَمْعٰنِۗ وَاللّٰهُ عَلٰى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيْرٌ ( الأنفال: ٤١ )
Wai'lamoo annama ghanimtum min shayin faanna lillahi khumusahu walilrrasooli walithee alqurba waalyatama waalmasakeeni waibni alssabeeli in kuntum amantum biAllahi wama anzalna 'ala 'abdina yawma alfurqani yawma iltaqa aljam'ani waAllahu 'ala kulli shayin qadeerun (al-ʾAnfāl 8:41)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और तुम्हें मालूम हो कि जो कुछ ग़नीमत के रूप में माल तुमने प्राप्त किया है, उसका पाँचवा भाग अल्लाग का, रसूल का, नातेदारों का, अनाथों का, मुहताजों और मुसाफ़िरों का है। यदि तुम अल्लाह पर और उस चीज़ पर ईमान रखते हो, जो हमने अपने बन्दे पर फ़ैसले के दिन उतारी, जिस दिन दोनों सेनाओं में मुठभेड़ हूई, और अल्लाह को हर चीज़ की पूर्ण सामर्थ्य प्राप्त है
English Sahih:
And know that anything you obtain of war booty – then indeed, for Allah is one fifth of it and for the Messenger and for [his] near relatives and the orphans, the needy, and the [stranded] traveler, if you have believed in Allah and in that which We sent down to Our Servant on the day of criterion [i.e., decisive encounter] – the day when the two armies met [at Badr]. And Allah, over all things, is competent. ([8] Al-Anfal : 41)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और जान लो कि जो कुछ तुम (माल लड़कर) लूटो तो उनमें का पॉचवॉ हिस्सा मख़सूस ख़ुदा और रसूल और (रसूल के) क़राबतदारों और यतीमों और मिस्कीनों और परदेसियों का है अगर तुम ख़ुदा पर और उस (ग़ैबी इमदाद) पर ईमान ला चुके हो जो हमने ख़ास बन्दे (मोहम्मद) पर फ़ैसले के दिन (जंग बदर में) नाज़िल की थी जिस दिन (मुसलमानों और काफिरों की) दो जमाअतें बाहम गुथ गयी थी और ख़ुदा तो हर चीज़ पर क़ादिर है