तुम उनके माल में से दान लेकर उन्हें शुद्ध करो और उनके द्वारा उन (की आत्मा) को विकसित करो और उनके लिए दुआ करो। निस्संदेह तुम्हारी दुआ उनके लिए सर्वथा परितोष है। अल्लाह सब कुछ सुनता, जानता है
English Sahih:
Take, [O Muhammad], from their wealth a charity by which you purify them and cause them increase, and invoke [Allah's blessings] upon them. Indeed, your invocations are reassurance for them. And Allah is Hearing and Knowing. ([9] At-Tawbah : 103)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
(ऐ रसूल) तुम उनके माल की ज़कात लो (और) इसकी बदौलत उनको (गुनाहो से) पाक साफ करों और उनके वास्ते दुआएं ख़ैर करो क्योंकि तुम्हारी दुआ इन लोगों के हक़ में इत्मेनान (का बाइस है) और ख़ुदा तो (सब कुछ) सुनता (और) जानता है
2 Azizul-Haqq Al-Umary
(हे नबी!) आप उनके धनों से दान लें और उसके द्वारा उन (के धनों) को पवित्र और उन (के मनों) को शुध्द करें और उन्हें आशीर्वाद दें। वास्तव में, आपका आशीर्वाद उनके लिए संतोष का कारण है और अल्लाह सब सुनने-जानने वाला है।