يٰصَاحِبَيِ السِّجْنِ اَمَّآ اَحَدُكُمَا فَيَسْقِيْ رَبَّهٗ خَمْرًا ۗوَاَمَّا الْاٰخَرُ فَيُصْلَبُ فَتَأْكُلُ الطَّيْرُ مِنْ رَّأْسِهٖ ۗ قُضِيَ الْاَمْرُ الَّذِيْ فِيْهِ تَسْتَفْتِيٰنِۗ ( يوسف: ٤١ )
Ya sahibayi alssijni amma ahadukuma fayasqee rabbahu khamran waamma alakharu fayuslabu fatakulu alttayru min rasihi qudiya alamru allathee feehi tastaftiyani (Yūsuf 12:41)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ऐ कारागार के मेरे दोनों साथियों! तुममें से एक तो अपने स्वामी को मद्यपान कराएगा; रहा दूसरा तो उसे सूली पर चढ़ाया जाएगा और पक्षी उसका सिर खाएँगे। फ़ैसला हो चुका उस बात का जिसके विषय में तुम मुझसे पूछ रहे हो।'
English Sahih:
O two companions of prison, as for one of you, he will give drink to his master of wine; but as for the other, he will be crucified, and the birds will eat from his head. The matter has been decreed about which you both inquire." ([12] Yusuf : 41)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ऐ मेरे क़ैद ख़ाने के दोनो रफीक़ो (अच्छा अब ताबीर सुनो तुममें से एक (जिसने अंगूर देखा रिहा होकर) अपने मालिक को शराब पिलाने का काम करेगा और (दूसरा) जिसने रोटियाँ सर पर (देखी हैं) तो सूली दिया जाएगा और चिड़िया उसके सर से (नोच नोच) कर खाएगी जिस अम्र को तुम दोनों दरयाफ्त करते थे (वह ये है और) फैसला हो चुका है