وَكَذٰلِكَ مَكَّنَّا لِيُوْسُفَ فِى الْاَرْضِ يَتَبَوَّاُ مِنْهَا حَيْثُ يَشَاۤءُۗ نُصِيْبُ بِرَحْمَتِنَا مَنْ نَّشَاۤءُ وَلَا نُضِيْعُ اَجْرَ الْمُحْسِنِيْنَ ( يوسف: ٥٦ )
And thus
وَكَذَٰلِكَ
और इसी तरह
We established
مَكَّنَّا
इक़्तिदार दिया हमने
[to] Yusuf
لِيُوسُفَ
यूसुफ़ को
in
فِى
ज़मीन में
the land
ٱلْأَرْضِ
ज़मीन में
to settle
يَتَبَوَّأُ
वो रहता
therein
مِنْهَا
उसमें
where ever
حَيْثُ
जहाँ
he willed
يَشَآءُۚ
वो चाहता
We bestow
نُصِيبُ
हम पहुँचाते हैं
Our Mercy
بِرَحْمَتِنَا
अपनी रहमत को
(on) whom
مَن
जिसे
We will
نَّشَآءُۖ
हम चाहते हैं
And not
وَلَا
और नहीं
We let go waste
نُضِيعُ
हम ज़ाया करते
(the) reward
أَجْرَ
अजर
(of) the good-doers
ٱلْمُحْسِنِينَ
एहसान करने वालों का
Wakathalika makanna liyoosufa fee alardi yatabawwao minha haythu yashao nuseebu birahmatina man nashao wala nudee'u ajra almuhsineena (Yūsuf 12:56)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इस प्रकार हमने यूसुफ़ को उस भू-भाग में अधिकार प्रदान किया कि वह उसमें जहाँ चाहे अपनी जगह बनाए। हम जिसे चाहते हैं उसे अपनी दया का पात्र बनाते है। उत्तमकारों का बदला हम अकारथ नहीं जाने देते
English Sahih:
And thus We established Joseph in the land to settle therein wherever he willed. We touch with Our mercy whom We will, and We do not allow to be lost the reward of those who do good. ([12] Yusuf : 56)