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۞ اَلَمْ تَرَ اِلَى الَّذِيْنَ بَدَّلُوْا نِعْمَتَ اللّٰهِ كُفْرًا وَّاَحَلُّوْا قَوْمَهُمْ دَارَ الْبَوَارِۙ   ( ابراهيم: ٢٨ )

Have not
أَلَمْ
क्या नहीं
you seen
تَرَ
आपने देखा
[to]
إِلَى
तरफ़ उनके जिन्होंने
those who
ٱلَّذِينَ
तरफ़ उनके जिन्होंने
(have) changed
بَدَّلُوا۟
बदल डाला
(the) Favor
نِعْمَتَ
नेअमत को
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की
(for) disbelief
كُفْرًا
कुफ़्र/नाशुक्री से
and they led
وَأَحَلُّوا۟
और उन्होंने ला उतारा
their people
قَوْمَهُمْ
अपनी क़ौम को
(to the) house
دَارَ
घर में
(of) destruction?
ٱلْبَوَارِ
हलाकत के

Alam tara ila allatheena baddaloo ni'mata Allahi kufran waahalloo qawmahum dara albawari (ʾIbrāhīm 14:28)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिन्होंने अल्लाह की नेमत को कुफ़्र से बदल डाला औऱ अपनी क़ौम को विनाश-गृह में उतार दिया;

English Sahih:

Have you not considered those who exchanged the favor of Allah for disbelief and settled their people [in] the home of ruin? ([14] Ibrahim : 28)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर ग़ौर नहीं किया जिन्होंने मेरे एहसान के बदले नाशुक्री की एख्तियार की और अपनी क़ौम को हलाकत के घरवाहे (जहन्नुम) में झोंक दिया