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وَالَّذِيْنَ هَاجَرُوْا فِى اللّٰهِ مِنْۢ بَعْدِ مَا ظُلِمُوْا لَنُبَوِّئَنَّهُمْ فِى الدُّنْيَا حَسَنَةً ۗوَلَاَجْرُ الْاٰخِرَةِ اَكْبَرُۘ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَۙ  ( النحل: ٤١ )

And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जिन्होंने
emigrated
هَاجَرُوا۟
हिजरत की
in (the way)
فِى
अल्लाह की राह में
(of) Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह की राह में
after
مِنۢ
बाद इसके
after
بَعْدِ
बाद इसके
[what]
مَا
जो
they were wronged
ظُلِمُوا۟
वो ज़ुल्म किए गए
surely We will give them position
لَنُبَوِّئَنَّهُمْ
अलबत्ता ज़रूर ठिकाना देंगे उन्हें
in
فِى
दुनिया में
the world
ٱلدُّنْيَا
दुनिया में
good
حَسَنَةًۖ
अच्छा
but surely the reward
وَلَأَجْرُ
और यक़ीनन अज्र
(of) the Hereafter
ٱلْءَاخِرَةِ
आख़िरत का
(is) greater
أَكْبَرُۚ
सबसे बड़ा है
if
لَوْ
काश
they
كَانُوا۟
होते वो
know
يَعْلَمُونَ
वो जानते

Waallatheena hajaroo fee Allahi min ba'di ma thulimoo lanubawwiannahum fee alddunya hasanatan walaajru alakhirati akbaru law kanoo ya'lamoona (an-Naḥl 16:41)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और जिन लोगों ने इसके पश्चात कि उनपर ज़ुल्म ढाया गया था अल्लाह के लिए घर-बार छोड़ा उन्हें हम दुनिया में भी अच्छा ठिकाना देंगे और आख़िरत का प्रतिदान तो बहुत बड़ा है। क्या ही अच्छा होता कि वे जानते

English Sahih:

And those who emigrated for [the cause of] Allah after they had been wronged – We will surely settle them in this world in a good place; but the reward of the Hereafter is greater, if only they could know. ([16] An-Nahl : 41)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिन लोगों ने (कुफ्फ़ार के ज़ुल्म पर ज़ुल्म सहने के बाद ख़ुदा की खुशी के लिए घर बार छोड़ा हिजरत की हम उनको ज़रुर दुनिया में भी अच्छी जगह बिठाएँगें और आख़िरत की जज़ा तो उससे कहीं बढ़ कर है काश ये लोग जिन्होंने ख़ुदा की राह में सख्तियों पर सब्र किया