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وَاللّٰهُ اَخْرَجَكُمْ مِّنْۢ بُطُوْنِ اُمَّهٰتِكُمْ لَا تَعْلَمُوْنَ شَيْـًٔاۙ وَّجَعَلَ لَكُمُ السَّمْعَ وَالْاَبْصَارَ وَالْاَفْـِٕدَةَ ۙ لَعَلَّكُمْ تَشْكُرُوْنَ   ( النحل: ٧٨ )

And Allah
وَٱللَّهُ
और अल्लाह ने
brought you forth
أَخْرَجَكُم
निकाला तुम्हें
from
مِّنۢ
पेटों से
the wombs
بُطُونِ
पेटों से
(of) your mothers
أُمَّهَٰتِكُمْ
तुम्हारी माओं के
not
لَا
नहीं तुम जानते थे
knowing
تَعْلَمُونَ
नहीं तुम जानते थे
anything
شَيْـًٔا
कुछ भी
and made
وَجَعَلَ
और उसने बनाए
for you
لَكُمُ
तुम्हारे लिए
the hearing
ٱلسَّمْعَ
कान
and the sight
وَٱلْأَبْصَٰرَ
और आँखें
and the hearts
وَٱلْأَفْـِٔدَةَۙ
और दिल
so that you may
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
give thanks
تَشْكُرُونَ
तुम शुक्रगुज़ार बनो

WaAllahu akhrajakum min butooni ommahatikum la ta'lamoona shayan waja'ala lakumu alssam'a waalabsara waalafidata la'allakum tashkuroona (an-Naḥl 16:78)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

अल्लाह ने तुम्हें तुम्हारी माँओ के पेट से इस दशा में निकाला कि तुम कुछ जानते न थे। उसने तुम्हें कान, आँखें और दिल दिए, ताकि तुम कृतज्ञता दिखलाओ

English Sahih:

And Allah has extracted you from the wombs of your mothers not knowing a thing, and He made for you hearing and vision and hearts [i.e., intellect] that perhaps you would be grateful. ([16] An-Nahl : 78)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और ख़ुदा ही ने तुम्हें तुम्हारी माओं के पेट से निकाला (जब) तुम बिल्कुल नासमझ थे और तुम को कान दिए और ऑंखें (अता की) दिल (इनायत किए) ताकि तुम शुक्र करो