Tusabbihu lahu alssamawatu alssab'u waalardu waman feehinna wain min shayin illa yusabbihu bihamdihi walakin la tafqahoona tasbeehahum innahu kana haleeman ghafooran (al-ʾIsrāʾ 17:44)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
सातों आकाश और धरती और जो कोई भी उनमें है सब उसकी तसबीह (महिमागान) करते है और ऐसी कोई चीज़ नहीं जो उसका गुणगान न करती हो। किन्तु तुम उनकी तसबीह को समझते नहीं। निश्चय ही वह अत्यन्त सहनशील, क्षमावान है
English Sahih:
The seven heavens and the earth and whatever is in them exalt Him. And there is not a thing except that it exalts [Allah] by His praise, but you do not understand their [way of] exalting. Indeed, He is ever Forbearing and Forgiving. ([17] Al-Isra : 44)
सातों आसमान और ज़मीन और जो लोग इनमें (सब) उसकी तस्बीह करते हैं और (सारे जहाँन) में कोई चीज़ ऐसी नहीं जो उसकी (हम्द व सना) की तस्बीह न करती हो मगर तुम लोग उनकी तस्बीह नहीं समझते इसमें शक़ नहीं कि वह बड़ा बुर्दबार बख्शने वाला है
2 Azizul-Haqq Al-Umary
उसकी पवित्रता का वर्णन कर रहे हैं सातों आकाश तथा धरती और जो कुछ उनमें है और नहीं है कोई चीज़ परन्तु वह उसकी प्रशंसा के साथ उसकी पवित्रता का वर्णन कर रही है, किन्तु तुम उनके पवित्रता गान को समझते नहीं हो। वास्तव में, वह अति सहिष्णु, क्षमाशील है।