وَاِذْ قُلْنَا لَكَ اِنَّ رَبَّكَ اَحَاطَ بِالنَّاسِۗ وَمَا جَعَلْنَا الرُّءْيَا الَّتِيْٓ اَرَيْنٰكَ اِلَّا فِتْنَةً لِّلنَّاسِ وَالشَّجَرَةَ الْمَلْعُوْنَةَ فِى الْقُرْاٰنِ ۗ وَنُخَوِّفُهُمْۙ فَمَا يَزِيْدُهُمْ اِلَّا طُغْيَانًا كَبِيْرًا ࣖ ( الإسراء: ٦٠ )
Waith qulna laka inna rabbaka ahata bialnnasi wama ja'alna alrruya allatee araynaka illa fitnatan lilnnasi waalshshajarata almal'oonata fee alqurani wanukhawwifuhum fama yazeeduhum illa tughyanan kabeeran (al-ʾIsrāʾ 17:60)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जब हमने तुमसे कहा, 'तुम्हारे रब ने लोगों को अपने घेरे में ले रखा है और जो अलौकिक दर्शन हमने तुम्हें कराया उसे तो हमने लोगों के लिए केवल एक आज़माइश बना दिया और उस वृक्ष को भी जिसे क़ुरआन में तिरस्कृत ठहराया गया है। हम उन्हें डराते है, किन्तु यह चीज़ उनकी बढ़ी हुई सरकशी ही को बढ़ा रही है।'
English Sahih:
And [remember, O Muhammad], when We told you, "Indeed, your Lord has encompassed the people." And We did not make the sight which We showed you except as a trial for the people, as was the accursed tree [mentioned] in the Quran. And We threaten [i.e., warn] them, but it increases them not except in great transgression. ([17] Al-Isra : 60)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
और (ऐ रसूल) वह वक्त याद करो जब तुमसे हमने कह दिया था कि तुम्हारे परवरदिगार ने लोगों को (हर तरफ से) रोक रखा है कि (तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकते और हमने जो ख्वाब तुमाको दिखलाया था तो बस उसे लोगों (के ईमान) की आज़माइश का ज़रिया ठहराया था और (इसी तरह) वह दरख्त जिस पर क़ुरान में लानत की गई है और हम बावजूद कि उन लोगों को (तरह तरह) से डराते हैं मगर हमारा डराना उनकी सख्त सरकशी को बढ़ाता ही गया