اَمْ اَمِنْتُمْ اَنْ يُّعِيْدَكُمْ فِيْهِ تَارَةً اُخْرٰى فَيُرْسِلَ عَلَيْكُمْ قَاصِفًا مِّنَ الرِّيْحِ فَيُغْرِقَكُمْ بِمَا كَفَرْتُمْۙ ثُمَّ لَا تَجِدُوْا لَكُمْ عَلَيْنَا بِهٖ تَبِيْعًا ( الإسراء: ٦٩ )
Am amintum an yu'eedakum feehi taratan okhra fayursila 'alaykum qasifan mina alrreehi fayughriqakum bima kafartum thumma la tajidoo lakum 'alayna bihi tabee'an (al-ʾIsrāʾ 17:69)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
या तुम इससे निश्चिन्त हो कि वह फिर तुम्हें उसमें दोबारा ले जाए और तुमपर प्रचंड तूफ़ानी हवा भेज दे और तुम्हें तुम्हारे इनकार के बदले में डूबो दे। फिर तुम किसी को ऐसा न पाओ जो तुम्हारे लिए इसपर हमारा पीछा करनेवाला हो?
English Sahih:
Or do you feel secure that He will not send you back into it [i.e., the sea] another time and send upon you a hurricane of wind and drown you for what you denied? Then you would not find for yourselves against Us an avenger. ([17] Al-Isra : 69)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
या तुमको इसका भी इत्मेनान हो गया कि फिर तुमको दोबारा इसी समन्दर में ले जाएगा उसके बाद हवा का एक ऐसा झोका जो (जहाज़ के) परख़चे उड़ा दे तुम पर भेजे फिर तुम्हें तुम्हारे कुफ्र की सज़ा में डुबा मारे फिर तुम किसी को (ऐसा हिमायती) न पाओगे जो हमारा पीछा करे और (तुम्हें छोड़ा जाए)