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اَفَحَسِبَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْٓا اَنْ يَّتَّخِذُوْا عِبَادِيْ مِنْ دُوْنِيْٓ اَوْلِيَاۤءَ ۗاِنَّآ اَعْتَدْنَا جَهَنَّمَ لِلْكٰفِرِيْنَ نُزُلًا   ( الكهف: ١٠٢ )

Do then think
أَفَحَسِبَ
क्या फिर गुमान करते हैं
those who
ٱلَّذِينَ
वो लोग जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوٓا۟
कुफ़्र किया
that
أَن
कि
they (can) take
يَتَّخِذُوا۟
वो बना लेंगे
My servants
عِبَادِى
मेरे बन्दों को
besides Me
مِن
मेरे सिवा
besides Me
دُونِىٓ
मेरे सिवा
(as) protectors?
أَوْلِيَآءَۚ
हिमायती/दोस्त
Indeed, We
إِنَّآ
बेशक हम
We have prepared
أَعْتَدْنَا
तैयार कर रखा है हमने
Hell
جَهَنَّمَ
जहन्नम को
for the disbelievers
لِلْكَٰفِرِينَ
काफ़िरों के लिए
(as) a lodging
نُزُلًا
बतौरे मेहमानी के

Afahasiba allatheena kafaroo an yattakhithoo 'ibadee min doonee awliyaa inna a'tadna jahannama lilkafireena nuzulan (al-Kahf 18:102)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

तो क्या इनकार करनेवाले इस ख़याल में हैं कि मुझसे हटकर मेरे बन्दों को अपना हिमायती बना लें? हमने ऐसे इनकार करनेवालों के आतिथ्य-सत्कार के लिए जहन्नम तैयार कर रखा है

English Sahih:

Then do those who disbelieve think that they can take My servants instead of Me as allies? Indeed, We have prepared Hell for the disbelievers as a lodging. ([18] Al-Kahf : 102)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

तो क्या जिन लोगों ने कुफ्र एख्तियार किया इस ख्याल में हैं कि हमको छोड़कर हमारे बन्दों को अपना सरपरस्त बना लें (कुछ पूछगछ न होगी) (अच्छा सुनो) हमने काफिरों की मेहमानदारी के लिए जहन्नुम तैयार कर रखी है