وَاتْلُ مَآ اُوْحِيَ اِلَيْكَ مِنْ كِتَابِ رَبِّكَۗ لَا مُبَدِّلَ لِكَلِمٰتِهٖۗ وَلَنْ تَجِدَ مِنْ دُوْنِهٖ مُلْتَحَدًا ( الكهف: ٢٧ )
And recite
وَٱتْلُ
और पढ़िए
what
مَآ
जो
has been revealed
أُوحِىَ
वही किया गया है
to you
إِلَيْكَ
तरफ़ आपके
of
مِن
किताब से
the Book
كِتَابِ
किताब से
(of) your Lord
رَبِّكَۖ
आपके रब की
None
لَا
नहीं
can change
مُبَدِّلَ
कोई बदलने वाला
His Words
لِكَلِمَٰتِهِۦ
उसके कलिमात को
and never
وَلَن
और हरगिज़ नहीं
you will find
تَجِدَ
आप पाऐंगे
besides Him
مِن
उसके सिवा
besides Him
دُونِهِۦ
उसके सिवा
a refuge
مُلْتَحَدًا
कोई पनाहगाह
Waotlu ma oohiya ilayka min kitabi rabbika la mubaddila likalimatihi walan tajida min doonihi multahadan (al-Kahf 18:27)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
अपने रब की क़िताब, जो कुछ तुम्हारी ओर प्रकाशना (वह्यस) हुई, पढ़ो। कोई नहीं जो उनके बोलो को बदलनेवाला हो और न तुम उससे हटकर क शरण लेने की जगह पाओगे
English Sahih:
And recite, [O Muhammad], what has been revealed to you of the Book of your Lord. There is no changer of His words, and never will you find in other than Him a refuge. ([18] Al-Kahf : 27)