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اُولٰۤىِٕكَ لَهُمْ جَنّٰتُ عَدْنٍ تَجْرِيْ مِنْ تَحْتِهِمُ الْاَنْهٰرُ يُحَلَّوْنَ فِيْهَا مِنْ اَسَاوِرَ مِنْ ذَهَبٍ وَّيَلْبَسُوْنَ ثِيَابًا خُضْرًا مِّنْ سُنْدُسٍ وَّاِسْتَبْرَقٍ مُّتَّكِىِٕيْنَ فِيْهَا عَلَى الْاَرَاۤىِٕكِۗ نِعْمَ الثَّوَابُۗ وَحَسُنَتْ مُرْتَفَقًا  ( الكهف: ٣١ )

Those
أُو۟لَٰٓئِكَ
यही लोग हैं
for them
لَهُمْ
उनके लिए
(are) Gardens
جَنَّٰتُ
बाग़ात हैं
of Eden
عَدْنٍ
हमेशगी के
flows
تَجْرِى
बहती हैं
from
مِن
उनके नीचे से
underneath them
تَحْتِهِمُ
उनके नीचे से
the rivers
ٱلْأَنْهَٰرُ
नहरें
They will be adorned
يُحَلَّوْنَ
वो पहनाए जाऐंगे
therein
فِيهَا
उनमें
[of] (with)
مِنْ
कंगन
bracelets
أَسَاوِرَ
कंगन
of
مِن
सोने के
gold
ذَهَبٍ
सोने के
and will wear
وَيَلْبَسُونَ
और वो पहनेंगे
garments
ثِيَابًا
लिबास
green
خُضْرًا
सब्ज़
of
مِّن
बारीक रेशम के
fine silk
سُندُسٍ
बारीक रेशम के
and heavy brocade
وَإِسْتَبْرَقٍ
और मोटे रेशम के
reclining
مُّتَّكِـِٔينَ
तकिया लगाए होंगे
therein
فِيهَا
उनमें
on
عَلَى
तख़्तों पर
adorned couches
ٱلْأَرَآئِكِۚ
तख़्तों पर
Excellent
نِعْمَ
कितना अच्छा है
(is) the reward
ٱلثَّوَابُ
बदला
and good
وَحَسُنَتْ
और कितनी अच्छी है
(is) the resting place
مُرْتَفَقًا
आरामगाह

Olaika lahum jannatu 'adnin tajree min tahtihimu alanharu yuhallawna feeha min asawira min thahabin wayalbasoona thiyaban khudran min sundusin waistabraqin muttakieena feeha 'ala alaraiki ni'ma alththawabu wahasunat murtafaqan (al-Kahf 18:31)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

ऐसे ही लोगों के लिए सदाबहार बाग़ है। उनके नीचे नहरें बह रही होंगी। वहाँ उन्हें सोने के कंगन पहनाए जाएँगे और वे हरे पतले और गाढ़े रेशमी कपड़े पहनेंगे और ऊँचे तख़्तों पर तकिया लगाए होंगे। क्या ही अच्छा बदला है और क्या ही अच्छा विश्रामस्थल!

English Sahih:

Those will have gardens of perpetual residence; beneath them rivers will flow. They will be adorned therein with bracelets of gold and will wear green garments of fine silk and brocade, reclining therein on adorned couches. Excellent is the reward, and good is the resting place. ([18] Al-Kahf : 31)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

ये वही लोग हैं जिनके (रहने सहने के) लिए सदाबहार (बेहश्त के) बाग़ात हैं उनके (मकानात के) नीचे नहरें जारी होगीं वह उन बाग़ात में दमकते हुए कुन्दन के कंगन से सँवारे जाँएगें और उन्हें बारीक रेशम (क्रेब) और दबीज़ रेश्म (वाफते)के धानी जोड़े पहनाए जाएँगें और तख्तों पर तकिए लगाए (बैठे) होगें क्या ही अच्छा बदला है और (बेहश्त भी आसाइश की) कैसी अच्छी जगह है