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وَمَا مَنَعَ النَّاسَ اَنْ يُّؤْمِنُوْٓا اِذْ جَاۤءَهُمُ الْهُدٰى وَيَسْتَغْفِرُوْا رَبَّهُمْ اِلَّآ اَنْ تَأْتِيَهُمْ سُنَّةُ الْاَوَّلِيْنَ اَوْ يَأْتِيَهُمُ الْعَذَابُ قُبُلًا  ( الكهف: ٥٥ )

And nothing
وَمَا
और नहीं
prevents
مَنَعَ
रोका
men
ٱلنَّاسَ
लोगों को
that
أَن
कि
they believe
يُؤْمِنُوٓا۟
वो ईमान लाऐं
when
إِذْ
जब
has come to them
جَآءَهُمُ
आ गई उनके पास
the guidance
ٱلْهُدَىٰ
हिदायत
and they ask forgiveness
وَيَسْتَغْفِرُوا۟
और वो बख़्शिश माँगें
(of) their Lord
رَبَّهُمْ
अपने रब से
except
إِلَّآ
मगर
that
أَن
ये कि
comes to them
تَأْتِيَهُمْ
आ जाए उनके पास
(the) way
سُنَّةُ
तरीक़ा/मामला
(of) the former (people)
ٱلْأَوَّلِينَ
पहलों का
or
أَوْ
या
comes to them
يَأْتِيَهُمُ
आ जाए उनके पास
the punishment
ٱلْعَذَابُ
अज़ाब
before (them)?
قُبُلًا
सामने से

Wama mana'a alnnasa an yuminoo ith jaahumu alhuda wayastaghfiroo rabbahum illa an tatiyahum sunnatu alawwaleena aw yatiyahumu al'athabu qubulan (al-Kahf 18:55)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

आख़िर लोगों को, जबकि उनके पास मार्गदर्शन आ गया, तो इस बात से कि वे ईमान लाते और अपने रब से क्षमा चाहते, इसके सिवा किसी चीज़ ने नहीं रोका कि उनके लिए वही कुछ सामने आए जो पूर्व जनों के सामने आ चुका है, यहाँ तक कि यातना उनके सामने आ खड़ी हो

English Sahih:

And nothing has prevented the people from believing when guidance came to them and from asking forgiveness of their Lord except that there [must] befall them the [accustomed] precedent of the former peoples or that the punishment should come [directly] before them. ([18] Al-Kahf : 55)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जब लोगों के पास हिदायत आ चुकी तो (फिर) उनको ईमान लाने और अपने परवरदिगार से मग़फिरत की दुआ माँगने से (उसके सिवा और कौन) अम्र मायने है कि अगलों की सी रीत रस्म उनको भी पेश आई या हमारा अज़ाब उनके सामने से (मौजूद) हो