فَانْطَلَقَا ۗحَتّٰىٓ اِذَآ اَتَيَآ اَهْلَ قَرْيَةِ ِۨاسْتَطْعَمَآ اَهْلَهَا فَاَبَوْا اَنْ يُّضَيِّفُوْهُمَا فَوَجَدَا فِيْهَا جِدَارًا يُّرِيْدُ اَنْ يَّنْقَضَّ فَاَقَامَهٗ ۗقَالَ لَوْ شِئْتَ لَتَّخَذْتَ عَلَيْهِ اَجْرًا ( الكهف: ٧٧ )
Faintalaqa hatta itha ataya ahla qaryatin istat'ama ahlaha faabaw an yudayyifoohuma fawajada feeha jidaran yureedu an yanqadda faaqamahu qala law shita laittakhathta 'alayhi ajran (al-Kahf 18:77)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर वे दोनों चले, यहाँ तक कि जब वे एक बस्तीवालों के पास पहुँचे और उनसे भोजन माँगा, किन्तु उन्होंने उनके आतिथ्य से इनकार कर दिया। फिर वहाँ उन्हें एक दीवार मिली जो गिरा चाहती थी, तो उस व्यक्ति ने उसको खड़ा कर दिया। (मूसा ने) कहा, 'यदि आप चाहते तो इसकी कुछ मज़दूरी ले सकते थे।'
English Sahih:
So they set out, until when they came to the people of a town, they asked its people for food, but they refused to offer them hospitality. And they found therein a wall about to collapse, so he [i.e., al-Khidhr] restored it. [Moses] said, "If you wished, you could have taken for it a payment." ([18] Al-Kahf : 77)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
ग़रज़ (ये सब हो हुआ कर फिर) दोनों आगे चले यहाँ तक कि जब एक गाँव वालों के पास पहुँचे तो वहाँ के लोगों से कुछ खाने को माँगा तो उन लोगों ने दोनों को मेहमान बनाने से इन्कार कर दिया फिर उन दोनों ने उसी गाँव में एक दीवार को देखा कि गिरा ही चाहती थी तो खिज्र ने उसे सीधा खड़ा कर दिया उस पर मूसा ने कहा अगर आप चाहते तो (इन लोगों से) इसकी मज़दूरी ले सकते थे