قَالَ هٰذَا فِرَاقُ بَيْنِيْ وَبَيْنِكَۚ سَاُنَبِّئُكَ بِتَأْوِيْلِ مَا لَمْ تَسْتَطِعْ عَّلَيْهِ صَبْرًا ( الكهف: ٧٨ )
He said
قَالَ
कहा
"This
هَٰذَا
ये है
(is) parting
فِرَاقُ
जुदाई
between me
بَيْنِى
दर्मियान मेरे
and between you
وَبَيْنِكَۚ
और दर्मियान तुम्हारे
I will inform you
سَأُنَبِّئُكَ
अनक़रीब मैं बताऊँगा तुम्हें
of (the) interpretation
بِتَأْوِيلِ
हक़ीक़त
(of) what
مَا
उसकी जो
not
لَمْ
नहीं
you were able
تَسْتَطِع
तुम कर सके
on it
عَّلَيْهِ
जिस पर
(to have) patience
صَبْرًا
सब्र
Qala hatha firaqu baynee wabaynika saonabbioka bitaweeli ma lam tastati' 'alayhi sabran (al-Kahf 18:78)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
उसने कहा, 'यह मेरे और तुम्हारे बीच जुदाई का अवसर है। अब मैं तुमको उसकी वास्तविकता बताए दे रहा हूँ, जिसपर तुम धैर्य से काम न ले सके।'
English Sahih:
[Al-Khidhr] said, "This is parting between me and you. I will inform you of the interpretation of that about which you could not have patience. ([18] Al-Kahf : 78)