وَلَوْ اَنَّهُمْ اٰمَنُوْا وَاتَّقَوْا لَمَثُوْبَةٌ مِّنْ عِنْدِ اللّٰهِ خَيْرٌ ۗ لَوْ كَانُوْا يَعْلَمُوْنَ ࣖ ( البقرة: ١٠٣ )
And if
وَلَوْ
और अगर
[that] they
أَنَّهُمْ
बेशक वो
(had) believed
ءَامَنُوا۟
ईमान लाते
and feared (Allah)
وَٱتَّقَوْا۟
और तक़वा इख़्तियार करते
surely (the) reward
لَمَثُوبَةٌ
अलबत्ता सवाब पाते
(of)
مِّنْ
अल्लाह के पास से
from
عِندِ
अल्लाह के पास से
Allah
ٱللَّهِ
अल्लाह के पास से
(would have been) better
خَيْرٌۖ
बेहतर
if
لَّوْ
काश
they were
كَانُوا۟
होते वो
(to) know
يَعْلَمُونَ
वो जानते
Walaw annahum amanoo waittaqaw lamathoobatun min 'indi Allahi khayrun law kanoo ya'lamoona (al-Baq̈arah 2:103)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और यदि वे ईमान लाते और डर रखते, तो अल्लाह के यहाँ से मिलनेवाला बदला कहीं अच्छा था, यदि वे जानते (तो इसे समझ सकते)
English Sahih:
And if they had believed and feared Allah, then the reward from Allah would have been [far] better, if they only knew. ([2] Al-Baqarah : 103)