وَمَثَلُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا كَمَثَلِ الَّذِيْ يَنْعِقُ بِمَا لَا يَسْمَعُ اِلَّا دُعَاۤءً وَّنِدَاۤءً ۗ صُمٌّ ۢ بُكْمٌ عُمْيٌ فَهُمْ لَا يَعْقِلُوْنَ ( البقرة: ١٧١ )
And (the) example
وَمَثَلُ
और मिसाल
(of) those who
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्होंने
disbelieve[d]
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
(is) like (the) example
كَمَثَلِ
मानिन्द मिसाल
(of) the one who
ٱلَّذِى
उसके है जो
shouts
يَنْعِقُ
चीख़ कर पुकारता है
at what
بِمَا
उसे जो
not
لَا
नहीं सुनता
(does) hear
يَسْمَعُ
नहीं सुनता
except
إِلَّا
मगर
calls
دُعَآءً
पुकार
and cries
وَنِدَآءًۚ
और आवाज़
deaf
صُمٌّۢ
बहरे
dumb
بُكْمٌ
गूँगे
(and) blind
عُمْىٌ
अँधे हैं
[so] they
فَهُمْ
पस वो
(do) not
لَا
नहीं वो अक़्ल रखते
understand
يَعْقِلُونَ
नहीं वो अक़्ल रखते
Wamathalu allatheena kafaroo kamathali allathee yan'iqu bima la yasma'u illa du'aan wanidaan summun bukmun 'umyun fahum la ya'qiloona (al-Baq̈arah 2:171)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
इन इनकार करनेवालों की मिसाल ऐसी है जैसे कोई ऐसी चीज़ों को पुकारे जो पुकार और आवाज़ के सिवा कुछ न सुनती और समझती हो। ये बहरे हैं, गूँगें हैं, अन्धें हैं; इसलिए ये कुछ भी नहीं समझ सकते
English Sahih:
The example of those who disbelieve is like that of one who shouts at what hears nothing but calls and cries [i.e., cattle or sheep] – deaf, dumb and blind, so they do not understand. ([2] Al-Baqarah : 171)