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وَاقْتَرَبَ الْوَعْدُ الْحَقُّ فَاِذَا هِيَ شَاخِصَةٌ اَبْصَارُ الَّذِيْنَ كَفَرُوْاۗ يٰوَيْلَنَا قَدْ كُنَّا فِيْ غَفْلَةٍ مِّنْ هٰذَا بَلْ كُنَّا ظٰلِمِيْنَ   ( الأنبياء: ٩٧ )

And has approached
وَٱقْتَرَبَ
और क़रीब आ जाएगा
the promise
ٱلْوَعْدُ
वादा
[the] true
ٱلْحَقُّ
सच्चा
then behold
فَإِذَا
तो अचानक
[it]
هِىَ
वो
(are) staring
شَٰخِصَةٌ
खली की खुली रह जाऐंगी
(the) eyes
أَبْصَٰرُ
आँखें
(of) those who
ٱلَّذِينَ
उनकी जिन्होंने
disbelieved
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
"O woe to us!
يَٰوَيْلَنَا
हाय अफ़सोस हम पर
Verily
قَدْ
तहक़ीक़
we had been
كُنَّا
थे हम
in
فِى
ग़फ़्लत में
heedlessness
غَفْلَةٍ
ग़फ़्लत में
of
مِّنْ
इससे
this;
هَٰذَا
इससे
nay
بَلْ
बल्कि
we were
كُنَّا
थे हम ही
wrongdoers"
ظَٰلِمِينَ
ज़ालिम

Waiqtaraba alwa'du alhaqqu faitha hiya shakhisatun absaru allatheena kafaroo ya waylana qad kunna fee ghaflatin min hatha bal kunna thalimeena (al-ʾAnbiyāʾ 21:97)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और सच्चा वादा निकट आ लगेगा, तो क्या देखेंगे कि उन लोगों की आँखें फटी की फटी रह गई हैं, जिन्होंने इनकार किया था, 'हाय, हमारा दुर्भाग्य! हम इसकी ओर से असावधान रहे, बल्कि हम ही अत्याचारी थे।'

English Sahih:

And [when] the true promise [i.e., the resurrection] has approached; then suddenly the eyes of those who disbelieved will be staring [in horror, while they say], "O woe to us; we had been unmindful of this; rather, we were wrongdoers." ([21] Al-Anbya : 97)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और क़यामत का सच्चा वायदा नज़दीक आ जाए तो फिर काफिरों की ऑंखें एक दम से पथरा दी जाएँ (और कहने लगे) हाय हमारी शामत कि हम तो इस (दिन) से ग़फलत ही में (पड़े) रहे बल्कि (सच तो यूँ है कि अपने ऊपर) हम आप ज़ालिम थे