لِّيَجْعَلَ مَا يُلْقِى الشَّيْطٰنُ فِتْنَةً لِّلَّذِيْنَ فِيْ قُلُوْبِهِمْ مَّرَضٌ وَّالْقَاسِيَةِ قُلُوْبُهُمْۗ وَاِنَّ الظّٰلِمِيْنَ لَفِيْ شِقَاقٍۢ بَعِيْدٍ ۙ ( الحج: ٥٣ )
That He may make
لِّيَجْعَلَ
ताकि वो बना दे
what
مَا
उसे जो
the Shaitaan throws
يُلْقِى
डालता है
the Shaitaan throws
ٱلشَّيْطَٰنُ
शैतान
a trial
فِتْنَةً
एक आज़माइश
for those
لِّلَّذِينَ
उन लोगों के लिए
in
فِى
जिनके दिलों में
their hearts
قُلُوبِهِم
जिनके दिलों में
(is) a disease
مَّرَضٌ
बीमारी है
and (are) hardened
وَٱلْقَاسِيَةِ
और सख़्त हैं
their hearts
قُلُوبُهُمْۗ
दिल उनके
And indeed
وَإِنَّ
और यक़ीनन
the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिम लोग
(are) surely, in
لَفِى
अलबत्ता मुख़ालिफ़त में हैं
schism
شِقَاقٍۭ
अलबत्ता मुख़ालिफ़त में हैं
far
بَعِيدٍ
दूर की
Liyaj'ala ma yulqee alshshaytanu fitnatan lillatheena fee quloobihim maradun waalqasiyati quloobuhum wainna alththalimeena lafee shiqaqin ba'eedin (al-Ḥajj 22:53)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
ताकि शैतान के डाले हुए विघ्न को उन लोगों के लिए आज़माइश बना दे जिनके दिलों में रोग है और जिनके दिल कठोर है। निस्संदेह ज़ालिम परले दर्ज के विरोध में ग्रस्त है। -
English Sahih:
[That is] so He may make what Satan throws in [i.e., asserts] a trial for those within whose hearts is disease and those hard of heart. And indeed, the wrongdoers are in extreme dissension. ([22] Al-Hajj : 53)