وَجَعَلْنَا ابْنَ مَرْيَمَ وَاُمَّهٗٓ اٰيَةً وَّاٰوَيْنٰهُمَآ اِلٰى رَبْوَةٍ ذَاتِ قَرَارٍ وَّمَعِيْنٍ ࣖ ( المؤمنون: ٥٠ )
And We made
وَجَعَلْنَا
और बनाया हमने
(the) son
ٱبْنَ
इब्ने मरियम
(of) Maryam
مَرْيَمَ
इब्ने मरियम
and his mother
وَأُمَّهُۥٓ
और उसकी माँ को
a Sign
ءَايَةً
एक निशानी
and We sheltered them
وَءَاوَيْنَٰهُمَآ
और पनाह दी हमने उन दोनों को
to
إِلَىٰ
तरफ़ बुलन्द जगह के
a high ground
رَبْوَةٍ
तरफ़ बुलन्द जगह के
of tranquility
ذَاتِ
क़रार/सुकून वाली
of tranquility
قَرَارٍ
क़रार/सुकून वाली
and water springs
وَمَعِينٍ
और बहते चश्मे वाली
Waja'alna ibna maryama waommahu ayatan waawaynahuma ila rabwatin thati qararin wama'eenin (al-Muʾminūn 23:50)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और मरयम के बेटे और उसकी माँ को हमने एक निशानी बनाया। और हमने उन्हें रहने योग्य स्रोतबाली ऊँची जगह शरण दी,
English Sahih:
And We made the son of Mary and his mother a sign and sheltered them within a high ground having level [areas] and flowing water. ([23] Al-Mu'minun : 50)