وَالَّذِيْنَ يُؤْتُوْنَ مَآ اٰتَوْا وَّقُلُوْبُهُمْ وَجِلَةٌ اَنَّهُمْ اِلٰى رَبِّهِمْ رٰجِعُوْنَ ۙ ( المؤمنون: ٦٠ )
And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
give
يُؤْتُونَ
देते हैं
what
مَآ
जो कुछ
they give
ءَاتَوا۟
वो देते हैं
while their hearts
وَّقُلُوبُهُمْ
जब कि दिल उनके
(are) fearful
وَجِلَةٌ
लरज़ते हैं
because they
أَنَّهُمْ
कि बेशक वो
to
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
their Lord
رَبِّهِمْ
तरफ़ अपने रब के
(will) return
رَٰجِعُونَ
लौटने वाले हैं
Waallatheena yutoona ma ataw waquloobuhum wajilatun annahum ila rabbihim raji'oona (al-Muʾminūn 23:60)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जो लोग देते है, जो कुछ देते है और हाल यह होता है कि दिल उनके काँप रहे होते है, इसलिए कि उन्हें अपने रब की ओर पलटना है;
English Sahih:
And they who give what they give while their hearts are fearful because they will be returning to their Lord. ([23] Al-Mu'minun : 60)