Skip to main content

وَلَا نُكَلِّفُ نَفْسًا اِلَّا وُسْعَهَاۖ وَلَدَيْنَا كِتٰبٌ يَّنْطِقُ بِالْحَقِّ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ   ( المؤمنون: ٦٢ )

And not
وَلَا
और नहीं
We burden
نُكَلِّفُ
हम तकलीफ़ देते
any soul
نَفْسًا
किसी नफ़्स को
except
إِلَّا
मगर
(to) its capacity
وُسْعَهَاۖ
उसकी वुसअत के मुताबिक़
and with Us
وَلَدَيْنَا
और हमारे पास
(is) a Record
كِتَٰبٌ
एक किताब है
(which) speaks
يَنطِقُ
जो बोलती है
with the truth;
بِٱلْحَقِّۚ
साथ हक़ के
and they
وَهُمْ
और वो
(will) not
لَا
ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
be wronged
يُظْلَمُونَ
ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे

Wala nukallifu nafsan illa wus'aha waladayna kitabun yantiqu bialhaqqi wahum la yuthlamoona (al-Muʾminūn 23:62)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

हम किसी व्यक्ति पर उसकी समाई (क्षमता) से बढ़कर ज़िम्मेदारी का बोझ नहीं डालते और हमारे पास एक किताब है, जो ठीक-ठीक बोलती है, और उनपर ज़ुल्म नहीं किया जाएगा

English Sahih:

And We charge no soul except [with that within] its capacity, and with Us is a record which speaks with truth; and they will not be wronged. ([23] Al-Mu'minun : 62)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हम तो किसी शख्स को उसकी क़ूवत से बढ़के तकलीफ देते ही नहीं और हमारे पास तो (लोगों के आमाल की) किताब है जो बिल्कुल ठीक (हाल बताती है) और उन लोगों की (ज़र्रा बराबर) हक़ तलफी नहीं की जाएगी