Skip to main content

وَيَوْمَ يَعَضُّ الظَّالِمُ عَلٰى يَدَيْهِ يَقُوْلُ يٰلَيْتَنِى اتَّخَذْتُ مَعَ الرَّسُوْلِ سَبِيْلًا   ( الفرقان: ٢٧ )

And (the) Day
وَيَوْمَ
और जिस दिन
will bite
يَعَضُّ
दाँतों से काटेगा
the wrongdoer
ٱلظَّالِمُ
ज़ालिम
[on]
عَلَىٰ
अपने दोनों हाथों पर
his hands
يَدَيْهِ
अपने दोनों हाथों पर
he will say
يَقُولُ
वो कहेगा
"O I wish!
يَٰلَيْتَنِى
ऐ काश कि मैं
I had taken
ٱتَّخَذْتُ
बना लेता मैं
with
مَعَ
साथ
the Messenger
ٱلرَّسُولِ
रसूल के
a way
سَبِيلًا
कुछ रास्ता

Wayawma ya'addu alththalimu 'ala yadayhi yaqoolu ya laytanee ittakhathtu ma'a alrrasooli sabeelan (al-Furq̈ān 25:27)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उस दिन अत्याचारी अत्याचारी अपने हाथ चबाएगा। कहेंगा, 'ऐ काश! मैंने रसूल के साथ मार्ग अपनाया होता!

English Sahih:

And the Day the wrongdoer will bite on his hands [in regret] he will say, "Oh, I wish I had taken with the Messenger a way. ([25] Al-Furqan : 27)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और जिस दिन जुल्म करने वाला अपने हाथ (मारे अफ़सोस के) काटने लगेगा और कहेगा काश रसूल के साथ मैं भी (दीन का सीधा) रास्ता पकड़ता