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وَقَالَ الرَّسُوْلُ يٰرَبِّ اِنَّ قَوْمِى اتَّخَذُوْا هٰذَا الْقُرْاٰنَ مَهْجُوْرًا   ( الفرقان: ٣٠ )

And said
وَقَالَ
और कहेगा
the Messenger
ٱلرَّسُولُ
रसूल
"O my Lord!
يَٰرَبِّ
ऐ मेरे रब
Indeed
إِنَّ
बेशक
my people
قَوْمِى
मेरी क़ौम ने
took
ٱتَّخَذُوا۟
बना लिया था
this
هَٰذَا
इस
the Quran
ٱلْقُرْءَانَ
क़ुरआन को
(as) a forsaken thing"
مَهْجُورًا
छोड़ा हुआ

Waqala alrrasoolu ya rabbi inna qawmee ittakhathoo hatha alqurana mahjooran (al-Furq̈ān 25:30)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

रसूल कहेगा, 'ऐ मेरे रब! निस्संदेह मेरी क़ौम के लोगों ने इस क़ुरआन को व्यर्थ बकवास की चीज़ ठहरा लिया था।'

English Sahih:

And the Messenger has said, "O my Lord, indeed my people have taken this Quran as [a thing] abandoned." ([25] Al-Furqan : 30)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और (उस वक्त) रसूल (बारगाहे ख़ुदा वन्दी में) अर्ज़ करेगें कि ऐ मेरे परवरदिगार मेरी क़ौम ने तो इस क़ुरान को बेकार बना दिया