Skip to main content

قُلْ مَآ اَسْـَٔلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ اَجْرٍ اِلَّا مَنْ شَاۤءَ اَنْ يَّتَّخِذَ اِلٰى رَبِّهٖ سَبِيْلًا   ( الفرقان: ٥٧ )

Say
قُلْ
कह दीजिए
"Not
مَآ
नहीं
I ask (of) you
أَسْـَٔلُكُمْ
मैं माँगता तुम से
for it
عَلَيْهِ
इस पर
any
مِنْ
कोई अजर
payment
أَجْرٍ
कोई अजर
except
إِلَّا
मगर
(that) whoever wills
مَن
जो
(that) whoever wills
شَآءَ
चाहे
to
أَن
कि
take
يَتَّخِذَ
वो बना ले
to
إِلَىٰ
तरफ़ अपने रब के
his Lord
رَبِّهِۦ
तरफ़ अपने रब के
a way"
سَبِيلًا
कोई रास्ता

Qul ma asalukum 'alayhi min ajrin illa man shaa an yattakhitha ila rabbihi sabeelan (al-Furq̈ān 25:57)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

कह दो, 'मैं इस काम पर तुमसे कोई बदला नहीं माँगता सिवाय इसके कि जो कोई चाहे अपने रब की ओर ले जानेवाला मार्ग अपना ले।'

English Sahih:

Say, "I do not ask of you for it any payment – only that whoever wills might take to his Lord a way." ([25] Al-Furqan : 57)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और उन लोगों से तुम कह दो कि मै इस (तबलीगे रिसालत) पर तुमसे कुछ मज़दूरी तो माँगता नहीं हूँ मगर तमन्ना ये है कि जो चाहे अपने परवरदिगार तक पहुँचने की राह पकडे