وَتَوَكَّلْ عَلَى الْحَيِّ الَّذِيْ لَا يَمُوْتُ وَسَبِّحْ بِحَمْدِهٖۗ وَكَفٰى بِهٖ بِذُنُوْبِ عِبَادِهٖ خَبِيْرًا ۚ ( الفرقان: ٥٨ )
And put your trust
وَتَوَكَّلْ
और तवक्कल कीजिए
in
عَلَى
हमेशा ज़िन्दा रहने वाले पर
the Ever-Living
ٱلْحَىِّ
हमेशा ज़िन्दा रहने वाले पर
the One Who
ٱلَّذِى
वो जो
does not die
لَا
नहीं मरेगा
does not die
يَمُوتُ
नहीं मरेगा
and glorify
وَسَبِّحْ
और तस्बीह बयान कीजिए
with His Praise
بِحَمْدِهِۦۚ
साथ उसकी हम्द के
And sufficient is
وَكَفَىٰ
और काफ़ी है
He
بِهِۦ
उसका
regarding the sins
بِذُنُوبِ
गुनाहों से
(of) His slaves
عِبَادِهِۦ
अपने बन्दों के
All-Aware
خَبِيرًا
ख़ूब बाख़बर होना
Watawakkal 'ala alhayyi allathee la yamootu wasabbih bihamdihi wakafa bihi bithunoobi 'ibadihi khabeeran (al-Furq̈ān 25:58)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और उस अल्लाह पर भरोसा करो जो जीवन्त और अमर है और उसका गुणगान करो। वह अपने बन्दों के गुनाहों की ख़बर रखने के लिए काफ़ी है
English Sahih:
And rely upon the Ever-Living who does not die, and exalt [Allah] with His praise. And sufficient is He to be, with the sins of His servants, [fully] Aware. ([25] Al-Furqan : 58)