وَالَّذِيْنَ يَقُوْلُوْنَ رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ اَزْوَاجِنَا وَذُرِّيّٰتِنَا قُرَّةَ اَعْيُنٍ وَّاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِيْنَ اِمَامًا ( الفرقان: ٧٤ )
And those who
وَٱلَّذِينَ
और वो जो
say
يَقُولُونَ
कहते हैं
"Our Lord!
رَبَّنَا
ऐ हमारे रब
Grant
هَبْ
अता कर
to us
لَنَا
हमें
from
مِنْ
हमारी बीवियों से
our spouses
أَزْوَٰجِنَا
हमारी बीवियों से
and our offspring
وَذُرِّيَّٰتِنَا
और हमारी औलाद से
comfort
قُرَّةَ
ठंडक
(to) our eyes
أَعْيُنٍ
आँखों की
and make us
وَٱجْعَلْنَا
और बना हमें
for the righteous
لِلْمُتَّقِينَ
मुत्तक़ी लोगों का
a leader"
إِمَامًا
इमाम / राहनुमा
Waallatheena yaqooloona rabbana hab lana min azwajina wathurriyyatina qurrata a'yunin waij'alna lilmuttaqeena imaman (al-Furq̈ān 25:74)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और जो कहते है, 'ऐ हमारे रब! हमें हमारी अपनी पत्नियों और हमारी संतान से आँखों की ठंडक प्रदान कर और हमें डर रखनेवालों का नायक बना दे।'
English Sahih:
And those who say, "Our Lord, grant us from among our wives and offspring comfort to our eyes and make us a leader [i.e., example] for the righteous." ([25] Al-Furqan : 74)