فَكَيْفَ اِذَا جَمَعْنٰهُمْ لِيَوْمٍ لَّا رَيْبَ فِيْهِۗ وَوُفِّيَتْ كُلُّ نَفْسٍ مَّا كَسَبَتْ وَهُمْ لَا يُظْلَمُوْنَ ( آل عمران: ٢٥ )
Then how (will it be)
فَكَيْفَ
तो कैसा (होगा हाल)
when
إِذَا
जब
We will gather them
جَمَعْنَٰهُمْ
जमा करेंगे हम उन्हें
on a Day -
لِيَوْمٍ
उस दिन के लिए
no
لَّا
नहीं कोई शक
doubt
رَيْبَ
नहीं कोई शक
in it
فِيهِ
उसमें
And will be paid in full
وَوُفِّيَتْ
और पूरी पूरी दे दी जाएगी
every
كُلُّ
हर
soul
نَفْسٍ
नफ़्स को
what
مَّا
जो
it earned
كَسَبَتْ
उसने कमाई की
and they
وَهُمْ
और वो
(will) not
لَا
ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
be wronged
يُظْلَمُونَ
ना वो ज़ुल्म किए जाऐंगे
Fakayfa itha jama'nahum liyawmin la rayba feehi wawuffiyat kullu nafsin ma kasabat wahum la yuthlamoona (ʾĀl ʿImrān 3:25)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
फिर क्या हाल होगा, जब हम उन्हें उस दिन इकट्ठा करेंगे, जिसके आने में कोई संदेह नहीं और प्रत्येक व्यक्ति को, जो कुछ उसने कमाया होगा, पूरा-पूरा मिल जाएगा; और उनके साथ अन्याय न होगा
English Sahih:
So how will it be when We assemble them for a Day about which there is no doubt? And each soul will be compensated [in full for] what it earned, and they will not be wronged. ([3] Ali 'Imran : 25)