فَاَعْرَضُوْا فَاَرْسَلْنَا عَلَيْهِمْ سَيْلَ الْعَرِمِ وَبَدَّلْنٰهُمْ بِجَنَّتَيْهِمْ جَنَّتَيْنِ ذَوَاتَيْ اُكُلٍ خَمْطٍ وَّاَثْلٍ وَّشَيْءٍ مِّنْ سِدْرٍ قَلِيْلٍ ( سبإ: ١٦ )
Faa'radoo faarsalna 'alayhim sayla al'arimi wabaddalnahum bijannatayhim jannatayni thawatay okulin khamtin waathlin washayin min sidrin qaleelin (Sabaʾ 34:16)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
किन्तु वे ध्यान में न लाए तो हमने उनपर बँध-तोड़ बाढ़ भेज दी और उनके दोनों बाग़ों के बदले में उन्हें दो दूसरे बाग़ दिए, जिनमें कड़वे-कसैले फल और झाड़ थे, और कुछ थोड़ी-सी झड़-बेरियाँ
English Sahih:
But they turned away [refusing], so We sent upon them the flood of the dam, and We replaced their two [fields of] gardens with gardens of bitter fruit, tamarisks and something of sparse lote trees. ([34] Saba : 16)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
इस पर भी उन लोगों ने मुँह फेर लिया (और पैग़म्बरों का कहा न माना) तो हमने (एक ही बन्द तोड़कर) उन पर बड़े ज़ोरों का सैलाब भेज दिया और (उनको तबाह करके) उनके दोनों बाग़ों के बदले ऐसे दो बाग़ दिए जिनके फल बदमज़ा थे और उनमें झाऊ था और कुछ थोड़ी सी बेरियाँ थी