Skip to main content

وَجَعَلْنَا بَيْنَهُمْ وَبَيْنَ الْقُرَى الَّتِيْ بٰرَكْنَا فِيْهَا قُرًى ظَاهِرَةً وَّقَدَّرْنَا فِيْهَا السَّيْرَۗ سِيْرُوْا فِيْهَا لَيَالِيَ وَاَيَّامًا اٰمِنِيْنَ   ( سبإ: ١٨ )

And We made
وَجَعَلْنَا
और बनाईं थीं हमने
between them
بَيْنَهُمْ
दर्मियान उनके
and between
وَبَيْنَ
और दर्मियान
the towns
ٱلْقُرَى
उन बस्तियों के
which
ٱلَّتِى
वो जो
We had blessed
بَٰرَكْنَا
बरकत दी हमने
in it
فِيهَا
जिन में
towns
قُرًى
बस्तियाँ
visible
ظَٰهِرَةً
ज़ाहिर/नुमायाँ
And We determined
وَقَدَّرْنَا
और अंदाज़े पर रखी हमने
between them
فِيهَا
उनमें
the journey
ٱلسَّيْرَۖ
मसाफ़त
"Travel
سِيرُوا۟
चले फिरो
between them
فِيهَا
उसमें
(by) night
لَيَالِىَ
रातों को
and (by) day
وَأَيَّامًا
और दिनों को
safely"
ءَامِنِينَ
अमन से रहने वाले

Waja'alna baynahum wabayna alqura allatee barakna feeha quran thahiratan waqaddarna feeha alssayra seeroo feeha layaliya waayyaman amineena (Sabaʾ 34:18)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और हमने उनके और उन बस्तियों के बीच जिनमें हमने बरकत रखी थी प्रत्यक्ष बस्तियाँ बसाई और उनमें सफ़र की मंज़िलें ख़ास अंदाज़े पर रखीं, 'उनमें रात-दिन निश्चिन्त होकर चलो फिरो!'

English Sahih:

And We placed between them and the cities which We had blessed [many] visible cities. And We determined between them the [distances of] journey, [saying], "Travel between them by night or by day in safety." ([34] Saba : 18)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और हम अहले सबा और (शाम) की उन बस्तियों के दरमियान जिनमें हमने बरकत अता की थी और चन्द बस्तियाँ (सरे राह) आबाद की थी जो बाहम नुमाया थीं और हमने उनमें आमद व रफ्त की राह मुक़र्रर की थी कि उनमें रातों को दिनों को (जब जी चाहे) बेखटके चलो फिरो