فَقَالُوْا رَبَّنَا بٰعِدْ بَيْنَ اَسْفَارِنَا وَظَلَمُوْٓا اَنْفُسَهُمْ فَجَعَلْنٰهُمْ اَحَادِيْثَ وَمَزَّقْنٰهُمْ كُلَّ مُمَزَّقٍۗ اِنَّ فِيْ ذٰلِكَ لَاٰيٰتٍ لِّكُلِّ صَبَّارٍ شَكُوْرٍ ( سبإ: ١٩ )
Faqaloo rabbana ba'id bayna asfarina wathalamoo anfusahum faja'alnahum ahadeetha wamazzaqnahum kulla mumazzaqin inna fee thalika laayatin likulli sabbarin shakoorin (Sabaʾ 34:19)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
किन्तु उन्होंने कहा, 'ऐ हमारे रब! हमारी यात्राओं में दूरी कर दे।' उन्होंने स्वयं अपने ही ऊपर ज़ुल्म किया। अन्ततः हम उन्हें (अतीत की) कहानियाँ बनाकर रहे, औऱ उन्हें बिल्कुल छिन्न-भिन्न कर डाला। निश्चय ही इसमें निशानियाँ है प्रत्येक बड़े धैर्यवान, कृतज्ञ के लिए
English Sahih:
But [insolently] they said, "Our Lord, lengthen the distance between our journeys," and wronged themselves, so We made them narrations and dispersed them in total dispersion. Indeed in that are signs for everyone patient and grateful. ([34] Saba : 19)
1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi
तो वह लोग ख़ुद कहने लगे परवरदिगार (क़रीब के सफर में लुत्फ नहीं) तो हमारे सफ़रों में दूरी पैदा कर दे और उन लोगों ने खुद अपने ऊपर ज़ुल्म किया तो हमने भी उनको (तबाह करके उनके) अफसाने बना दिए - और उनकी धज्जियाँ उड़ा के उनको तितिर बितिर कर दिया बेशक उनमें हर सब्र व शुक्र करने वालोंके वास्ते बड़ी इबरते हैं