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وَمَا يَسْتَوِى الْاَحْيَاۤءُ وَلَا الْاَمْوَاتُۗ اِنَّ اللّٰهَ يُسْمِعُ مَنْ يَّشَاۤءُ ۚوَمَآ اَنْتَ بِمُسْمِعٍ مَّنْ فِى الْقُبُوْرِ   ( فاطر: ٢٢ )

And not
وَمَا
और नहीं
equal
يَسْتَوِى
बराबर हो सकते
(are) the living
ٱلْأَحْيَآءُ
ज़िन्दा
and not
وَلَا
और ना
the dead
ٱلْأَمْوَٰتُۚ
मुर्दे
Indeed
إِنَّ
बेशक
Allah
ٱللَّهَ
अल्लाह
causes to hear
يُسْمِعُ
वो सुनाता है
whom
مَن
जिसे
He wills
يَشَآءُۖ
वो चाहता है
and not
وَمَآ
और नहीं
you
أَنتَ
आप
can make hear
بِمُسْمِعٍ
सुनाने वाले
(those) who
مَّن
उन्हें जो
(are) in
فِى
क़ब्रों में हैं
the graves
ٱلْقُبُورِ
क़ब्रों में हैं

Wama yastawee alahyao wala alamwatu inna Allaha yusmi'u man yashao wama anta bimusmi'in man fee alquboori (Fāṭir 35:22)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और न जीवित और मृत बराबर है। निश्चय ही अल्लाह जिसे चाहता है सुनाता है। तुम उन लोगों को नहीं सुना सकते, जो क़ब्रों में हो।

English Sahih:

And not equal are the living and the dead. Indeed, Allah causes to hear whom He wills, but you cannot make hear those in the graves. ([35] Fatir : 22)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और न ज़िन्दे (मोमिनीन) और न मुर्दें (क़ाफिर) बराबर हो सकते हैं और खुदा जिसे चाहता है अच्छी तरह सुना (समझा) देता है और (ऐ रसूल) जो (कुफ्फ़ार मुर्दों की तरह) क़ब्रों में हैं उन्हें तुम अपनी (बातें) नहीं समझा सकते हो