ءَاَتَّخِذُ مِنْ دُوْنِهٖٓ اٰلِهَةً اِنْ يُّرِدْنِ الرَّحْمٰنُ بِضُرٍّ لَّا تُغْنِ عَنِّيْ شَفَاعَتُهُمْ شَيْـًٔا وَّلَا يُنْقِذُوْنِۚ ( يس: ٢٣ )
Should I take
ءَأَتَّخِذُ
क्या मैं बना लूँ
besides Him
مِن
उसके सिवा से
besides Him
دُونِهِۦٓ
उसके सिवा से
gods?
ءَالِهَةً
कुछ इलाह
If
إِن
अगर
intends for me
يُرِدْنِ
इरादा करे मेरे साथ
the Most Gracious
ٱلرَّحْمَٰنُ
रहमान
any harm
بِضُرٍّ
किसी नुक़सान का
not
لَّا
ना काम आएगी
will avail
تُغْنِ
ना काम आएगी
[from] me
عَنِّى
मुझे
their intercession
شَفَٰعَتُهُمْ
शफ़ाअत उनकी
(in) anything
شَيْـًٔا
कुछ भी
and not
وَلَا
और ना
they (can) save me
يُنقِذُونِ
वो बचा सकेंगे मुझे
Aattakhithu min doonihi alihatan in yuridni alrrahmanu bidurrin la tughni 'annee shafa'atuhum shayan wala yunqithooni (Yāʾ Sīn 36:23)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
'क्या मैं उससे इतर दूसरे उपास्य बना लूँ? यदि रहमान मुझे कोई तकलीफ़ पहुँचाना चाहे तो उनकी सिफ़ारिश मेरे कुछ काम नहीं आ सकती और न वे मुझे छुडा ही सकते है
English Sahih:
Should I take other than Him [false] deities [while], if the Most Merciful intends for me some adversity, their intercession will not avail me at all, nor can they save me? ([36] Ya-Sin : 23)