Skip to main content

وَاٰيَةٌ لَّهُمُ الَّيْلُ ۖنَسْلَخُ مِنْهُ النَّهَارَ فَاِذَا هُمْ مُّظْلِمُوْنَۙ  ( يس: ٣٧ )

And a Sign
وَءَايَةٌ
और एक निशानी
for them
لَّهُمُ
उनके लिए
(is) the night
ٱلَّيْلُ
रात है
We withdraw
نَسْلَخُ
हम खींच लेते हैं
from it
مِنْهُ
उससे
the day
ٱلنَّهَارَ
दिन को
Then behold!
فَإِذَا
तो यकायक
They
هُم
वो
(are) those in darkness
مُّظْلِمُونَ
अंधेरे में हो जाते हैं

Waayatun lahumu allaylu naslakhu minhu alnnahara faitha hum muthlimoona (Yāʾ Sīn 36:37)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

और एक निशानी उनके लिए रात है। हम उसपर से दिन को खींच लेते है। फिर क्या देखते है कि वे अँधेरे में रह गए

English Sahih:

And a sign for them is the night. We remove from it the [light of] day, so they are [left] in darkness. ([36] Ya-Sin : 37)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और मेरी क़ुदरत की एक निशानी रात है जिससे हम दिन को खींच कर निकाल लेते (जाएल कर देते) हैं तो उस वक्त ये लोग अंधेरे में रह जाते हैं