Skip to main content

وَدُّوْا لَوْ تَكْفُرُوْنَ كَمَا كَفَرُوْا فَتَكُوْنُوْنَ سَوَاۤءً فَلَا تَتَّخِذُوْا مِنْهُمْ اَوْلِيَاۤءَ حَتّٰى يُهَاجِرُوْا فِيْ سَبِيْلِ اللّٰهِ ۗ فَاِنْ تَوَلَّوْا فَخُذُوْهُمْ وَاقْتُلُوْهُمْ حَيْثُ وَجَدْتُّمُوْهُمْ ۖ وَلَا تَتَّخِذُوْا مِنْهُمْ وَلِيًّا وَّلَا نَصِيْرًاۙ   ( النساء: ٨٩ )

They wish
وَدُّوا۟
वो दिल से चाहते हैं
if
لَوْ
कि काश
you disbelieve
تَكْفُرُونَ
तुम कुफ़्र करो
as
كَمَا
जैसा कि
they disbelieved
كَفَرُوا۟
उन्होंने कुफ़्र किया
and you would be
فَتَكُونُونَ
तो तुम हो जाओ
alike
سَوَآءًۖ
बराबर
So (do) not
فَلَا
तो ना
take
تَتَّخِذُوا۟
तुम बनाओ
from them
مِنْهُمْ
उनमें से
allies
أَوْلِيَآءَ
दोस्त
until
حَتَّىٰ
यहाँ तक कि
they emigrate
يُهَاجِرُوا۟
वो हिजरत कर जाऐं
in
فِى
अल्लाह के रास्ते में
(the) way
سَبِيلِ
अल्लाह के रास्ते में
(of) Allah
ٱللَّهِۚ
अल्लाह के रास्ते में
But if
فَإِن
फिर अगर
they turn back
تَوَلَّوْا۟
वो मुँह मोड़ जाऐं
seize them
فَخُذُوهُمْ
तो पकड़ो उन्हें
and kill them
وَٱقْتُلُوهُمْ
और क़त्ल करो उन्हें
wherever
حَيْثُ
जहाँ कहीं
you find them
وَجَدتُّمُوهُمْۖ
पाओ तुम उन्हें
And (do) not
وَلَا
और ना
take
تَتَّخِذُوا۟
तुम बनाओ
from them
مِنْهُمْ
उनमें से
any ally
وَلِيًّا
कोई दोस्त
and not
وَلَا
और ना
any helper
نَصِيرًا
कोई मददगार

Waddoo law takfuroona kama kafaroo fatakoonoona sawaan fala tattakhithoo minhum awliyaa hatta yuhajiroo fee sabeeli Allahi fain tawallaw fakhuthoohum waoqtuloohum haythu wajadtumoohum wala tattakhithoo minhum waliyyan wala naseeran (an-Nisāʾ 4:89)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

वे तो चाहते है कि जिस प्रकार वे स्वयं अधर्मी है, उसी प्रकार तुम भी अधर्मी बनकर उन जैसे हो जाओ; तो तुम उनमें से अपने मित्र न बनाओ, जब तक कि वे अल्लाह के मार्ग में घरबार न छोड़े। फिर यदि वे इससे पीठ फेरें तो उन्हें पकड़ो, और उन्हें क़त्ल करो जहाँ कही भी उन्हें पाओ - तो उनमें से किसी को न अपना मित्र बनाना और न सहायक -

English Sahih:

They wish you would disbelieve as they disbelieved so you would be alike. So do not take from among them allies until they emigrate for the cause of Allah. But if they turn away [i.e., refuse], then seize them and kill them [for their betrayal] wherever you find them and take not from among them any ally or helper, ([4] An-Nisa : 89)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

उन लोगों की ख्वाहिश तो ये है कि जिस तरह वह काफ़िर हो गए तुम भी काफ़िर हो जाओ ताकि तुम उनके बराबर हो जाओ पस जब तक वह ख़ुदा की राह में हिजरत न करें तो उनमें से किसी को दोस्त न बनाओ फिर अगर वह उससे भी मुंह मोड़ें तो उन्हें गिरफ्तार करो और जहॉ पाओ उनको क़त्ल करो और उनमें से किसी को न अपना दोस्त बनाओ न मददगार