يَوْمَ لَا يَنْفَعُ الظّٰلِمِيْنَ مَعْذِرَتُهُمْ وَلَهُمُ اللَّعْنَةُ وَلَهُمْ سُوْۤءُ الدَّارِ ( غافر: ٥٢ )
(The) Day
يَوْمَ
जिस दिन
not
لَا
ना नफ़ा देगी
will benefit
يَنفَعُ
ना नफ़ा देगी
the wrongdoers
ٱلظَّٰلِمِينَ
ज़ालिमों को
their excuse
مَعْذِرَتُهُمْۖ
माज़रत उनकी
and for them
وَلَهُمُ
और उनके लिए है
(is) the curse
ٱللَّعْنَةُ
लाअनत
and for them
وَلَهُمْ
और उनके लिए है
(is the) worst
سُوٓءُ
बदतरीन
home
ٱلدَّارِ
घर
Yawma la yanfa'u alththalimeena ma'thiratuhum walahumu alla'natu walahum sooo alddari (Ghāfir 40:52)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
जिस दिन ज़ालिमों को उनका उज्र (सफ़ाई पेश करना) कुछ भी लाभ न पहुँचाएगा, बल्कि उनके लिए तो लानत है और उनके लिए बुरा घर है
English Sahih:
The Day their excuse will not benefit the wrongdoers, and they will have the curse, and they will have the worst home [i.e., Hell]. ([40] Ghafir : 52)