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وَقَالَ الَّذِيْنَ كَفَرُوْا لَا تَسْمَعُوْا لِهٰذَا الْقُرْاٰنِ وَالْغَوْا فِيْهِ لَعَلَّكُمْ تَغْلِبُوْنَ  ( فصلت: ٢٦ )

And said
وَقَالَ
और कहा
those who
ٱلَّذِينَ
उन लोगों ने जिन्होंने
disbelieve
كَفَرُوا۟
कुफ़्र किया
"(Do) not
لَا
ना तुम सुनो
listen
تَسْمَعُوا۟
ना तुम सुनो
to this
لِهَٰذَا
इस
Quran
ٱلْقُرْءَانِ
क़ुरआन को
and make noise
وَٱلْغَوْا۟
और ग़ुल मचाओ
therein
فِيهِ
उसमें
that you may
لَعَلَّكُمْ
ताकि तुम
overcome"
تَغْلِبُونَ
तुम ग़ालिब आ जाओ

Waqala allatheena kafaroo la tasma'oo lihatha alqurani wailghaw feehi la'allakum taghliboona (Fuṣṣilat 41:26)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जिन लोगों ने इनकार किया उन्होंने कहा, 'इस क़ुरआन को सुनो ही मत और इसके बीच में शोर-गुल मचाओ, ताकि तुम प्रभावी रहो।'

English Sahih:

And those who disbelieve say, "Do not listen to this Quran and speak noisily during [the recitation of] it that perhaps you will overcome." ([41] Fussilat : 26)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

और कुफ्फ़ार कहने लगे कि इस क़ुरान को सुनो ही नहीं और जब पढ़ें (तो) इसके (बीच) में ग़ुल मचा दिया करो ताकि (इस तरकीब से) तुम ग़ालिब आ जाओ