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۞ اِلَيْهِ يُرَدُّ عِلْمُ السَّاعَةِ ۗوَمَا تَخْرُجُ مِنْ ثَمَرٰتٍ ِمّنْ اَكْمَامِهَا وَمَا تَحْمِلُ مِنْ اُنْثٰى وَلَا تَضَعُ اِلَّا بِعِلْمِهٖ ۗوَيَوْمَ يُنَادِيْهِمْ اَيْنَ شُرَكَاۤءِيْۙ قَالُوْٓا اٰذَنّٰكَ مَا مِنَّا مِنْ شَهِيْدٍ ۚ   ( فصلت: ٤٧ )

To Him
إِلَيْهِ
उसी की तरफ़
is referred
يُرَدُّ
लौटाया जाता है
(the) knowledge
عِلْمُ
इल्म
(of) the Hour
ٱلسَّاعَةِۚ
क़यामत का
And not
وَمَا
और नहीं
comes out
تَخْرُجُ
निकलता
any
مِن
फलों में से ( कोई फल)
fruits
ثَمَرَٰتٍ
फलों में से ( कोई फल)
from
مِّنْ
अपने ग़िलाफ़ों में से
their coverings
أَكْمَامِهَا
अपने ग़िलाफ़ों में से
and not
وَمَا
और नहीं
bears
تَحْمِلُ
हामिला होती
any
مِنْ
कोई मादा
female
أُنثَىٰ
कोई मादा
and not
وَلَا
और ना
gives birth
تَضَعُ
वो जन्म देती है
except
إِلَّا
मगर
with His knowledge
بِعِلْمِهِۦۚ
उसके इल्म से
And (the) Day
وَيَوْمَ
और जिस दिन
He will call them
يُنَادِيهِمْ
वो पुकारेगा उन्हें
"Where (are)
أَيْنَ
कहाँ हैं
My partners
شُرَكَآءِى
शरीक मेरे
They will say
قَالُوٓا۟
वो कहेंगे
"We announce (to) You
ءَاذَنَّٰكَ
अर्ज़ कर चुके हम तुझसे
not
مَا
नहीं है
among us
مِنَّا
हम में से
any
مِن
कोई गवाह
witness"
شَهِيدٍ
कोई गवाह

Ilayhi yuraddu 'ilmu alssa'ati wama takhruju min thamaratin min akmamiha wama tahmilu min ontha wala tada'u illa bi'ilmihi wayawma yunadeehim ayna shurakaee qaloo athannaka ma minna min shaheedin (Fuṣṣilat 41:47)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

उस घड़ी का ज्ञान अल्लाह की ओर फिरता है। जो फल भी अपने कोषों से निकलते है और जो मादा भी गर्भवती होती है और बच्चा जनती है, अनिवार्यतः उसे इन सबका ज्ञान होता है। जिस दिन वह उन्हें पुकारेगा, 'कहाँ है मेरे साझीदार?' वे कहेंगे, 'हम तेरे समक्ष खुल्लम-ख़ुल्ला कह चुके है कि हममें से कोई भी इसका गवाह नहीं।'

English Sahih:

To Him [alone] is attributed knowledge of the Hour. And fruits emerge not from their coverings nor does a female conceive or give birth except with His knowledge. And the Day He will call to them, "Where are My 'partners'?" they will say, "We announce to You that there is [no longer] among us any witness [to that]." ([41] Fussilat : 47)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

क़यामत के इल्म का हवाला उसी की तरफ है (यानि वही जानता है) और बगैर उसके इल्म व (इरादे) के न तो फल अपने पौरों से निकलते हैं और न किसी औरत को हमल रखता है और न वह बच्चा जनती है और जिस दिन (ख़ुदा) उन (मुशरेकीन) को पुकारेगा और पूछेगा कि मेरे शरीक कहाँ हैं- वह कहेंगे हम तो तुझ से अर्ज़ कर चूके हैं कि हम में से कोई (उनसे) वाकिफ़ ही नहीं