اَوَمَنْ يُّنَشَّؤُا فِى الْحِلْيَةِ وَهُوَ فِى الْخِصَامِ غَيْرُ مُبِيْنٍ ( الزخرف: ١٨ )
Then (is one) who
أَوَمَن
क्या भला जिसे
is brought up
يُنَشَّؤُا۟
पाला जाता है
in
فِى
ज़ेवरात में
ornaments
ٱلْحِلْيَةِ
ज़ेवरात में
and he
وَهُوَ
और वो
in
فِى
झगड़े में
the dispute
ٱلْخِصَامِ
झगड़े में
(is) not
غَيْرُ
ग़ैर
clear
مُبِينٍ
वाज़ेह है
Awaman yunashshao fee alhilyati wahuwa fee alkhisami ghayru mubeenin (az-Zukhruf 43:18)
Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:
और क्या वह जो आभूषणों में पले और वह जो वाद-विवाद और झगड़े में खुल न पाए (ऐसी अबला को अल्लाह की सन्तान घोषित करते हो)?
English Sahih:
So is one brought up in ornaments while being during conflict unevident [attributed to Allah]? ([43] Az-Zukhruf : 18)